हाथी चाहे जितनी भी बूढ़ी हो, खुराक इसका कम नही होता।
दरी बिछा के चाहे जितना पैसे जोड़ ले बसपा से टिकट लेने का दम नहीं होत।
इसीलिए हम दरी बिछाने वाले के पास न करोड़ होंगे न हम नेता बन पाएंग।
हम ज़लील या सेक्युलर दल्ला कहलाएंगे लेकिन दरी ही बिछाएंगे।
हाथी चाहे जितनी भी बूढ़ी हो, खुराक इसका कम नही होता।
दरी बिछा के चाहे जितना पैसे जोड़ ले बसपा से टिकट लेने का दम नहीं होत।
इसीलिए हम दरी बिछाने वाले के पास न करोड़ होंगे न हम नेता बन पाएंग।
हम ज़लील या सेक्युलर दल्ला कहलाएंगे लेकिन दरी ही बिछाएंगे।