अखिलेश तेरी चाहत में हम दरबदर हो गए,
अपनी हस्ती से हम बेख़बर हो गए
तू सावरकर सैफ़ई हो गया,
हम उजड़कर “मुजफ्फरनगर” हो गए।
Saifai Ka mujra

अखिलेश तेरी चाहत में हम दरबदर हो गए,
अपनी हस्ती से हम बेख़बर हो गए
तू सावरकर सैफ़ई हो गया,
हम उजड़कर “मुजफ्फरनगर” हो गए।