देओबंद विधान सभा –
मुस्लिम मतदाता अधिक (लगभग 1 लाख 30 हज़ार ) होने के बावजूद देवबंद विधानसभा सीट से सपा ने हिंदी नाम वाले राणा को प्रत्याशी बनाया है जबकि वहां की जनता लगातार माविआ अली को सपोर्ट कर रही है और सोशल मीडिया पर माविआ के लिए प्रचार प्रसार भी किया, लोगो ने समाजवादी पार्टी को चेताया भी की अगर माविआ को टिकट नहीं दिया तो इस बार देओबंद की जनता पतंग को चुनेगी।
इतना सब हो जाने के बाद भी बबुआ ने लगातार अपना एजेंडा बनाये रखा और कहा तुम दरी ही बिछाओ या कहलो मुस्लिम नफरत में माविआ को किनारे लगा कर राणा को चुना।
2017 में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. क्रमशः माजिद अली और माविया अली. इन दोनों को मिले वोट्स पर अगर एक नज़र भी दौड़ा लें तो माजरा समझ में आ जाता है. माजिद अली को 72,844 वोट मिले हैं और माविया अली को 55,385. दोनों का जोड़ बैठता है 1,28,229. जीतने वाले भाजपा कैंडिडेट को मिले हैं 1,02,244 वोट्स. अगर एक ही मुस्लिम कैंडिडेट होता तो यूं वोट बंटता नहीं और उसी की जीत भी हो जाती।
इस बार 2022 में अगर सपा से माविआ अली होते तो उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी क्यूंकि बसपा भी मुस्लिम को वहा से नहीं उतारा और बीजेपी तो खुली संघी है ही।
सपा ने मौजूदा इलेक्शन में मुस्लिम्स लिंचिंग, JSR के जबरन नारे लगवाना, मुसलमानो का नरसंहार करना, इत्यादि पर मुस्लिम्स के मुद्दे उठाना तो दूर की बात, मुस्लिम शब्द का उपयोग भी नहीं किया बल्कि इसके उलट एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है जिसमे बबुआ कह रहे है “मैं हिन्दू”, “तू हिन्दू”, “ये हिन्दू”, “सब हिन्दू”, “मंदिर – मंदिर”, हिन्दू – हिन्दू किया जबकि मुस्लिम् समाज ने ख़ानदानी गुलामी करके हर बार सपा को चुना, सपा को सत्ता तक पहुंचाया अपने वोटों से, अब वही सपा पूरी तरह से अपना सही चेहरा दिखाते हुए मुस्लिम विरोधियों को भी सपा में शामिल कर रही है जैसे सुनील सिंह, स्वामी मौर्य और आरएसएस का मुखिया इत्यादि लोगो को टिकट भी दे रही है जिससे सत्ता मिलने का मौका पा सके लेकिन ऐसे में बहुत ही आसानी से मुजफ्फर नगर दोहराया जा सकता है।
इतना सब होने के बावजूद भी मेरा एक गिरोह ऐसा भी है जो “दरी बिछाओ गैंग ” के नाम से मशहूर है, जो सपा का ज़ेहनी गुलाम है, दरी, कुर्सी-माइक और टेंट लगाता है, उसको स्टेज से धक्का मार कर भगाया जाता है, तरह – तरह से रुस्वा ज़लील ख़्वार किया जाता है फिर भी दरी वहीं बिछाता है, अब इस गिरोह के लिए बहुत ही ज़्यादा मुश्किलें बढ़ती जा रहीं है, इसकी वजह है MIM का मैदान में आना, ओवैसी बात करते है की हम दरी नहीं बिछाने देंगे, धक्का नहीं खाने देंगे बल्कि कंधे से कन्धा मिलकर, सर का ताज बनाएंगे, हिस्सेदार बनाकर अधिकार मांगेगे और दिलाएंगे !
अब आगे 10 मार्च को देखना ये है की इन छुपे हुए संघी दोस्तों का दरी बिछाओ गैंग वाले जुम्मन त्याग करके MIM को चुनेगा (जो “रिक्शा की जगह शिक्षा” की बात करती है, जो अधिकार की बात करती है, जो रोजगार, देश और संविधान की बात करती है),या खानदानी गुलामी को बरक़रार रखेगा।
संवाद दाता : EMF ABDULLAH