डाल के ग़ुलामी का पटटा हमें ये बताना ह।
दरी बिछाते आये है और आगे भी भिछाना है।
हमारे ज़िम्मे ही संविधान को और पप्पू को बचाना है।
इसीलिए ता उमर हमही को दरी बिछाना है।
डाल के ग़ुलामी का पटटा हमें ये बताना ह।
दरी बिछाते आये है और आगे भी भिछाना है।
हमारे ज़िम्मे ही संविधान को और पप्पू को बचाना है।
इसीलिए ता उमर हमही को दरी बिछाना है।