सेकुलर पार्टी बोलके ज़ुल्म बढ़वाया करता है।
वह धक्के खा के भी रोज स्टेज सजाया करता है।
कैसा पागल शख्स है सारी-सारी रातों में
दीवारों को अपना दर्द सुनाया करता है॥
सुबह उठते ही पार्टी के झंडे उठाया करता है।
सोयाबीन बिरयानी खा के दरी बिछाया करता है।