मुस्लिम वोट का उत्तरप्रदेश में महत्व :
कुल मिलाकर बात करें तो उत्तर प्रदेश में 143 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटरों का असर है।
लगभग 70 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी बीस से तीस फीसदी के बीच है।
और 43 सीटें जहां मुस्लिम आबादी तीस फीसदी से ज्यादा है।
यूपी में तीन दर्जन या 36 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर जीत सकते हैं।
जबकि 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता जीत या हार का फैसला कर सकते हैं।
राज्य के रामपुर में सबसे ज्यादा 50.57 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
मुरादाबाद में 47.12 प्रतिशत,
बिजनौर में 43.04 प्रतिशत,
सहारनपुर 41.95 प्रतिशत,
मुजफ्फरनगर में 41.3 प्रतिशत,
अमरोहा में 40.78 प्रतिशत,
बलरामपुर में 37.51 फीसदी,
बरेली में 34.54 प्रतिशत,
मेरठ में 34.43 प्रतिशत,
बहराइच में 37.51 फीसदी,
श्रावस्ती में 30.79 प्रतिशत,
सिद्धार्थनगर में 29.23 फीसदी,
बागपत में 27.98 फीसदी,
गाजियाबाद में 25.35 प्रतिशत,
पीलीभीत 24.11 प्रतिशत,
संत कबीरनगर 23.58 प्रतिशत,
मौजूदा हालात के मद्देनज़र रखते हुए लगभग ज़्यादातर मुस्लिम बहुल सीटों पर AIMIM फाइट कर रही है, और दावा कर रही है के मुस्लिम हमारे साथ है। वैसे कई वायरल वीडियो से ये पता लगता है के छेत्र में मुस्लिम लोगो का ध्यान AIMIM की तरफ जा भी रहा है , लेकिन हम दरी बिछाने वाले को ये काम दिया गया है के सबको ये ज़िम्मेदारी देना है के बीजेपी को भगाओ और इसको भगाने के सपा तथा कांग्रेस का दरी बिछा कर सेक्युलर बन जाना है।
हाला के माना जा रहा है अगर मुसलमानो ने छुपे दुश्मनो को त्याग कर, ज़ुल्म और ज़्यादती के खिलाफ एकजुट हो कर MIM को वोट और सपोर्ट किया तो इस बार बिना MIM समर्थन के बीजेपी भगाया नहीं जा सकता है।
क्यों के इस बार AIMIM दावा कर रही है के मुसलमानो के साथ साथ नॉन मुस्लिम भाई भी MIM को सपोर्ट कर रहे है और वोट कर रहे है इसका उदाहरण ये देते है, महाराष्ट्र में औरंगाबाद की एमपी सीट, जहाँ पर मुस्लिम वोट कम होने ( ३२.४५ % ) के बाद भी वहां की अवाम ने MIM को जिताया।
मौजूदा इलेक्शन में जहां एक तरफ नाम मात्र सेक्युलर दलों ने अपने मंच पे दरी बिछाने का ठेका दिया हुआ है और मुसलमानो के मुद्दे उठाना तो दूर की बात बल्कि मुस्लिम शब्द का गलती से उपयोग भी नहीं किया और मुस्लिम नेताओं के टिकट भी बढ़ चढ़ कर काटे गए वही दूसरी तरफ AIMIM ने सभी धर्मो के प्रत्याशियों को टिकट देकर सौहार्द और संविधान में विश्वास की मिसाल प्रस्तुत किया ये एक कारण है के इस बार दरी का धंदा चौपट हो रहा है और लोग AIMIM की तरफ जा रहे है।
अब देखना ये है की मुस्लिम समुदाय दरी बिछाने वाले सुनहरे अवसर को भुना कर सत्ता में हिस्सेदारी लेकर अपने अधिकारों को प्राप्त करेगा या जिस तरह आज़ादी के बाद से अभी तक छुपे दुश्मनो की दरी बिछाते आये है क्या वैसे ही दरी बिछाएंगे।
संवाद दाता : EMF ABDULLAH