हम dari bichao gang के लिए समजवाद तभी जिंदा होता जब कोई मनोरंजन का प्रोग्राम हो। आप को याद ही होगा 2013 में मुजफ्फरनगर के दंगा में समाजवाद मर गया था, तो सैफई में bollywood कलाकार के कमर के लचकाने से समाजवाद जिंदा हुआ था।
उसी परकार इस बार फिर लोग बाबरी के कातिल तथा टोटी चोर जैसे नाम दे कर समाजवाद को मार चुके है, उसे जिंदा करने के लिए हम दरि बिछाओ गैंग का फिर से मुशायरा के द्वारा मनोरंजन किया जा रहा है।
जय जुम्मन वाद।